Thursday, June 19, 2025
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कोक स्‍टूडियो भारत ने पेश किया ‘इश्‍क बावला’, हरियाणवी मिट्टी की खुशबू और आत्मचिंतन से जुड़ा एक भावपूर्ण गीत

कोक स्‍टूडियो भारत ने पेश किया ‘इश्‍क बावला’, हरियाणवी मिट्टी की खुशबू और आत्मचिंतन से जुड़ा एक भावपूर्ण गीत

 नेशनल, 18 जून 2025: भारत की विविध संगीत परंपराओं को सेलिब्रेट करने वाला कोक स्टूडियो भारत, अपने तीसरे सीज़न में श्रोताओं का दिल जीत रहा है। ‘होली आई रे’, ‘होलो लोलो’ और ‘पंजाब वेख’ जैसे गानों के ज़रिए मंच पहले ही देश की सांस्कृतिक जड़ों को खूबसूरती से दर्शा चुका है। अब इसकी चौथी पेशकश के रूप में आया है – ‘इश्क़ बावला’। हरियाणवी रैपर धंदा न्योलीवाला द्वारा लिखा, गाया और कंपोज़ किया गया यह गाना, ज़्विर ग्रेवाल की साझेदारी में तैयार हुआ है। ‘इश्क़ बावला’ एक ऐसा गीत है जो बीते प्यार की यादों, आत्मचिंतन और पहचान की तलाश को नए अंदाज़ में पेश करता है। हरियाणा की लोककथाओं से प्रेरित यह गाना, आत्म-जागरूकता की ताकत को दर्शाता है और सुनने वालों को सोचने, सीखने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

#IshqBawla हरियाणवी अंदाज़ में प्यार की उलझनों और टूटे दिल की कहानी को बयां करता है – वो भी एक नए, जोशीले अंदाज़ में। पुरानी लोककथाओं की नाटकीय प्रेम कहानियों से प्रेरित यह गाना न सिर्फ़ दिल को छूता है, बल्कि आगे बढ़ने और खुद को बेहतर बनाने की हिम्मत भी देता है। यह सिर्फ़ एक गीत नहीं, बल्कि एक एहसास है – इश्क़ से जागरूकता तक का सफर।

हरियाणवी रैपर धंदा न्योलीवाला अपनी खास शैली और फ्लो के साथ एक दमदार परफॉर्मेंस देते हैं, जिसमें वो अपने शब्दों से दिल छू लेने वाली कहानियाँ बुनते हैं। उनके साथ हैं ज़्विर ग्रेवाल, जिनकी सुरीली आवाज़ प्यार और खोने के एहसास को और गहराई देती है। इस गाने के प्रोडक्शन में आधुनिक बीट्स और हरियाणवी लोक वाद्ययंत्रों—जैसे डेरू, बुगचू और घड़ा—का शानदार मेल है। इस अनोखे फ्यूज़न से एक ऐसा साउंडस्केप तैयार होता है जो एक साथ परिचित भी है और नया भी।

प्रवीण धंदा उर्फ़ धंदा न्योलीवाला अपने खास रैप स्टाइल और असली बातों से इस गाने में छा जाते हैं। वो सिर्फ़ एक रैपर नहीं, बल्कि हरियाणा की आवाज़ हैं—जो इस क्षेत्रीय पहचान को दुनिया के हिप-हॉप मंच तक ले जाने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। उनका साथ देते हैं हर्षवीर सिंह ग्रेवाल उर्फ़ ज़्विर, जो अपनी सॉफ्ट और इमोशनल गायकी से इस गाने को और भी असरदार बना देते हैं। धंदा के रैप और ज़्विर की मेलोडी मिलकर एक ऐसी कहानी रचते हैं जो स्थानीय जड़ों और मॉडर्न म्यूज़िक के बीच खूबसूरत पुल बनाती है। डेरू, बुगचू और घड़ा जैसे लोक वाद्ययंत्रों को मॉडर्न रैप बीट्स के साथ जोड़कर यह गाना एक ऐसा अनुभव बनता है जो देसी भी है और इंटरनेशनल भी।

शांतनु गंगाने, आईएमएक्स लीड, कोका-कोला इंडिया, ने कहा, “कोक स्टूडियो भारत एक साफ रणनीतिक उद्देश्य पर बनाया गया है: भारत की आवाज़ को पूरी दुनिया तक पहुँचाना और इसमें इसकी सबसे शक्तिशाली सांस्कृतिक संपत्ति यानी इसकी विविधता को दिखाना सबसे प्रमुख है। प्रत्येक नए गाने के साथ, हम एक ऐसा मंच बना रहे हैं जहाँ धंदा न्योलीवाला और ज़्विर ग्रेवाल जैसे क्षेत्रीय कलाकार नई पीढ़ी के श्रोताओं के लिए परंपरा को फिर से गढ़ सकते हैं। हम कोक स्टूडियो में उन कहानियों को सामने लाने के लिए उत्साहित हैं जो जड़ों से जुड़ी और प्रशंसकों के लिए प्रासंगिक हैं।”

धंदा न्योलीवाला ने कहा, “कोक स्टूडियो भारत सिर्फ़ एक मंच नहीं, बल्कि एक बदलाव है – इसने हमें संगीत को देखने और समझने का नया नजरिया दिया है। ‘इश्क़ बावला’ के ज़रिए मैं सिर्फ़ अपनी आवाज़ नहीं, बल्कि अपनी मिट्टी, अपनी जड़ों और अपने लोगों की बात कह सका हूँ। इस मंच ने मुझे पूरी ईमानदारी से खुद को जाहिर करने की आज़ादी दी – और हरियाणा की आवाज़ को दूर-दूर तक पहुँचाया। इसके लिए मैं दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।”

ज़्विर ग्रेवाल ने कहा, इश्क़ बावला’ पर धंदा न्योलीवाला और कोक स्टूडियो भारत के साथ काम करना मेरे लिए एक ऐसा अनुभव रहा, जिसमें हमें एक ऐसी कहानी तलाशने का मौका मिला जो निजी भी है और वक्त से परे भी। इस प्रोजेक्ट में जो समर्थन, रचनात्मक आज़ादी और टीम वर्क मिला, उसने इस गाने को एक नया मुकाम दिया। हमें ऐसा मंच मिला जहाँ हम खुलकर अपनी बात कह सके—और यही वजह है कि यह गाना आज की पीढ़ी से सीधा जुड़ता है।”

कोक स्टूडियो भारत का तीसरा सीज़न जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, यह भारत की लोक कला और संगीत को एक नया मंच दे रहा है। यह शो हमारी पुरानी सांस्कृतिक विरासत को मॉडर्न साउंड्स से जोड़ता है—और ऐसा संगीत रचता है जो भाषा, ज़माने और सीमाओं से कहीं आगे निकल जाता है। ‘इश्क़ बावला’ जैसे गाने इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे यह मंच लोकल कहानियों को आज के दौर के हिसाब से पेश करने का वादा निभा रहा है—बिलकुल वैसे, जैसे दिल से निकली बात सीधे दिल तक पहुँचती है।

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