Monday, September 15, 2025
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खलासी के बाद कोक स्टूडियो भारत में गूंजेगा आदित्य गढ़वी का नया गीत ‘मीठा खारा

खलासी के बाद कोक स्टूडियो भारत में गूंजेगा
आदित्य गढ़वी का नया गीत ‘मीठा खारा

‘मीठा खारा’ गुजरात की अग्रिया कम्युनिटी को समर्पित  दिल को छू लेने वाला गीत है

 नेशनल, 11 सितंबर: कोक स्टूडियो भारत ने अपने सीज़न 3 का नया गीत ‘मीठा खारा’ रिलीज़ किया है। नवरात्रि के उत्सव के साथ पेश किया गया यह गीत गुजरात की लोक-धरोहर को नई आवाज़ देता है। इस गाने को सिद्धार्थ अमित भावसार ने क्यूरेट और कम्पोज़ किया है, और इसमें लोकगायक आदित्य गढ़वी, मधुबंती बागची की सुरीली आवाज़ और युवा कलाकार थानू खान की ताज़गी शामिल है। कोक स्टूडियो भारत के लिए खास तौर पर तैयार किया गया ‘मीठा खारा’ लोकसंगीत की मिट्टी से जुड़ी धुनों को आधुनिक सुरों से जोड़ता है। यह गीत ‘खलासी’ की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए एक बार फिर गुजरात की सांस्कृतिक जड़ों को उजागर करता है।

600 साल पुरानी अग्रिया कम्युनिटी की विरासत से जुड़ा ‘मीठा खारा’ उनके जीवन के गहरे विरोधाभास को सामने लाता है। गुजरात में ‘मीठू’ यानी नमक—एक ऐसी चीज़ जो आवश्यक भी है और कठिन परिश्रम से भी जुड़ी है। अग्रिया समुदाय के लिए नमक सिर्फ़ रोज़गार नहीं, बल्कि धैर्य और गर्व से जुड़ी उनकी धरोहर है। यह गीत दिखाता है कि किस तरह हर पीढ़ी इस मीठे-खारे सफर को अपनाती है—जहां कठोरता ही उनकी सबसे बड़ी मिठास बन जाती है। यही है ‘मीठा खारा’—हौसले और पहचान का गीत, जो नमक की तरह समय के साथ कायम रहता है।

कोका-कोला INSWA के आईएमएक्स (इंटीग्रेटेड मार्केटिंग एक्सपीरियंस) लीड शांतनु गंगाने ने कहा,
“त्योहार ऐसे मौके होते हैं जब संगीत लोगों को जोड़ने का सबसे सशक्त जरिया बनता है। ‘मीठा खारा’ के ज़रिए हमने परंपरा और युवाओं के संगीत प्रेम के बीच एक सेतु बनाने की कोशिश की है। कोक स्टूडियो भारत ऐसा मंच है, जहां आदित्य गढ़वी और मधुबंती बागची जैसे दिग्गज कलाकारों की आवाज़ें थानू खान जैसे युवा टैलेंट के साथ मिलकर ऐसी कहानियां रचती हैं, जो संगीत, संस्कृति और उपभोक्ताओं—तीनों को जोड़ती हैं।”

मीठा खारा’ की खूबसूरती इसके सभी कलाकारों के सामूहिक योगदान में है। भार्गव पुरोहित के संवेदनशील बोलों ने इस गीत को गहराई और असली पहचान दी। संगीतकार सिद्धार्थ अमित भावसार ने अग्रिया समुदाय की कहानी को स्वर देकर उनके संघर्ष और विरासत को एक सशक्त संगीत कथा में बदला। आदित्य गढ़वी की दमदार आवाज़ ने इसमें ताक़त भरी, वहीं मधुबंती बागची ने नर्मी और भावुकता जोड़ी। अंत में थानू खान के अनोखे अंदाज़ ने इस रचना को पूरा कर इसकी आत्मा को साकार कर दिया।

संगीतकार और निर्माता सिद्धार्थ अमित भावसार ने बताया कि ‘मीठा खारा’ की जड़ें लोकसंगीत से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा, “गीत की रचना बेहद सरल धुनों से शुरू हुई और कहानी ने हर चरण में संगीत की दिशा तय की। लय और वाद्ययंत्रों को परत-दर-परत जोड़ा गया, ताकि हर ध्वनि श्रोताओं को परंपरा से जोड़ते हुए आज के समय में भी जीवंत और प्रामाणिक महसूस हो।”

गीतकार भार्गव पुरोहित ने कहा, “मीठा खारा’ लिखना मेरे लिए सम्मान की बात थी, क्योंकि इससे अग्रिया समुदाय के अनुभवों को शब्द देने का अवसर मिला। इस कहानी में गर्व, संघर्ष और परंपरा की कई परतें हैं और मैंने कोशिश की है कि गीत के बोल उस सच्चाई को सादगी और ईमानदारी के साथ दर्शाएं। यह मेरे लिए खुशी की बात है कि मेरे लिखे शब्द कोक स्टूडियो भारत के ज़रिए संगीत में ढलकर जीवंत हो उठे।”

लोकगायक आदित्य गढ़वी ने कहा, “कोक स्टूडियो भारत के साथ दोबारा जुड़ना मेरे लिए बेहद खास अनुभव है। ‘मीठा खारा’ के ज़रिए हम ‘खलासी’ से शुरू हुई यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं और गुजरात की लोककथाओं को नए अंदाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह गीत बनाना मेरे लिए खुशी का अनुभव था, क्योंकि इसमें सचमुच हमारी संस्कृति की आत्मा और हमारे लोगों का गर्व झलकता है।”

गायिका मधुबंती बागची ने कहा, “‘मीठा खारा’ मेरे लिए अपनी कला को उसके सच्चे रूप में अभिव्यक्त करने का अवसर था। एक कलाकार के रूप में मुझे हमेशा ऐसे मंच की तलाश रहती है, जहां तकनीक और भावनाओं, परंपरा और व्यक्तित्व को साथ लेकर आगे बढ़ सकूं। कोक स्टूडियो भारत ने मुझे यह अवसर दिया, जहां मैं अपनी आवाज़, अपने अनुभव और अपनी अभिव्यक्ति को पूरी तरह से गीत में उतार सकी।”

युवा कलाकार थानू खान ने कहा, “कोक स्टूडियो भारत का हिस्सा बनना मेरा सपना रहा है। ‘मीठा खारा’ में अपनी धुनों के ज़रिए गीत के सार को जोड़ पाना मेरे लिए गर्व और सम्मान की बात है, जो हमेशा मेरे साथ रहेगा।”

 

‘खलासी’ की सफलता के बाद कोक स्टूडियो भारत सीज़न 3 देश की समृद्ध संगीत परंपरा का जश्न मना रहा है। यह मंच एक ओर दिग्गज कलाकारों को जोड़ रहा है, वहीं उभरती प्रतिभाओं को भी मौका दे रहा है। समकालीन और पारंपरिक धुनों के इस संगम से ऐसे गीत सामने आ रहे हैं, जो भारत की जनता और उनकी साझा कहानियों को प्रतिबिंबित करते हैं। हर नया ट्रैक दर्शकों के लिए एक जुड़ाव का अहसास लेकर आता है।

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