नए अल्ट्रा-हाई टैक्स की वजह से विदेशी अवैध ऑनलाइन गेम्स
का रुख कर रहे हैं भारतीय खिलाड़ी
लखनऊ, 23 अक्टूबर 2024 – स्किल ऑनलाइन गेम्स इंस्टीट्यूट (एसओजीआई) ने जीएसटी परिषद से ऑनलाइन गेम्स के फुल-फेस वैल्यू पर 28% टैक्स पर फिर से विचार करने की अपील की है। अत्यधिक टैक्स की वजह से भारतीय प्लेयर्स देश से बाहर अवैध गेमिंग प्लेटफॉर्म का रुख कर रहे हैं। स्किल ऑनलाइन गेम्स इंस्टीट्यूट (एसओजीआई) ऑनलाइन गेम्स उद्योग के लिए ज्ञान और डेटा-संचालित जानकारियों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित अग्रणी संस्थान है। इस टैक्स पॉलिसी से अवैध गेमिंग में उछाल आया है क्योंकि ऑफशोर प्लेटफॉर्म खुद को “नो-जीएसटी” विकल्प के रूप में प्रचारित करते हुए भारतीय यूजर्स को लुभा रहे हैं। अक्टूबर 2023 से इन प्लेटफार्मों पर भारतीय कंपनियों की संख्या में 35% की वृद्धि देखी गई है और साालना आधार पर यह ट्रेंड अवैध गतिविधियों में 57% की वृद्धि के बारे में बताता है।
डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के पूर्व डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट विनोद जी खंडारे ने इस बात पर जोर दिया है कि यह प्रवृत्ति “भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा” है, क्योंकि अनियमित, विदेशी प्लेटफार्मों के प्रभुत्व में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है।
एसओजीआई के फाउंडर प्रेसिडेंट अमृत किरण सिंह ने कहा, “फुल फेस वैल्यू पर 28% जीएसटी न केवल भारतीय गेमिंग उद्योग के लिए एक झटका है , बल्कि यह अवैध ऑफशोर गेमिंग को भी प्रोत्साहित करता है। यह नीति निवेश को हतोत्साहित करते हुए इनोवेशन की राह में बाधा है और यूजर्स को स्थानीय, विनियमित प्लेटफार्मों से दूर कर रही है। भारत में एक संतुलित टैक्सेशन ढांचा विकसित करने के लिए सरकार के साथ एक सहयोगात्मक प्रयास आवश्यक है, जो उचित अनुपालन सुनिश्चित करते हुए विकास को प्रोत्साहित करे।”
भारत के गेमिंग सेक्टर पर प्रभाव
भारतीय गेमिंग बाजार की वृद्धि के बावजूद, जिसने वित्त वर्ष 2023 में 3.1 बिलियन डॉलर का राजस्व अर्जित किया है और इसके 20% सीएजीआर की दर से वित्त वर्ष 28 तक 7.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। एसओजीआई अनुसंधान बताता है भारत के ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की वैश्विक गेमिंग राजस्व में केवल 1% हिस्सेदारी है, जबकि चीन और अमेरिका की हिस्सेदारी क्रमशः 25% और 23% है, जो भारत की छिपी हुई संभावनाओं को सामने रखता है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष रूप से 15 अगस्त 2024 के अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, भारतीय खेलों को वैश्विक मंच पर सफल होने की आवश्यकता पर बार-बार जोर दिया है, जो भारत के भविष्य के लिए इस क्षेत्र के महत्व को बताता है।
हालांकि, फुल फेस वैल्यू पर 28% जीएसटी इस संभावना के इस्तेमाल को कम करता है, जिससे भारतीय प्लेटफार्मों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले नुकसान होता है और अवैध प्लेटफार्मों का टैक्स-फ्री विनिंग का लालच भारतीय खिलाड़ियों को आकर्षित करता है। यह स्थिति न केवल स्थानीय व्यवसायों को कमजोर करती है बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत महत्वपूर्ण चिंताएं भी उठाती है।
उत्तर प्रदेश और उससे आगे की चुनौतियां
एसओजीआई के शोध के मुताबिक भारतीय गेमर्स 78% समय ऑनलाइन विदेशी समर्थित प्लेटफॉर्म पर बिताते हैं, जिससे विदेशी कंपनियों को भारतीय उपभोक्ताओं से मुनाफा कमाने का मौका मिलता है। उत्तर प्रदेश में, यह प्रवृत्ति और भी अधिक स्पष्ट है, जहां विदेशी गेम्स, विशेष रूप से चीनी कंपनियों के गेम, बाजार पर हावी हैं। एसओजीआई के शोध से यह भी पता चलता है कि उत्तर प्रदेश ने पिछले 4 वर्षों में राष्ट्रीय औसत की तुलना में इनडोर वातावरण में 6% कम समय बिताया है। अगस्त 2019 से मई 2024 तक के गेमप्ले डेटा के विश्लेषण के मुताबिक, आगरा, कानपुर और गाजियाबाद जैसे प्रमुख शहरों में, चीनी स्वामित्व वाले गेम्स का प्रचलन राष्ट्रीय औसत से अधिक है। लखनऊ में भी इन खेलों का दबदबा राष्ट्रीय चलन से थोड़ा ही नीचे है।
जिम्मेदार ग्रोथ समय की मांग
एसओजीआई एक संतुलित नजरिये की वकालत करता है जो उद्योग के विकास को बढ़ावा देते हुए घरेलू इनोवेशन को बढ़ावा देता है और उपभोक्ताओं की सुरक्षा करता है। टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर, उद्योग जिम्मेदार गेमिंग उपायों को लागू कर सकता है जो लत को रोकते हैं और मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिम को कम करते हैं।
अमृत ने कहा, “डिजिटल हस्तक्षेप जिम्मेदार गेमिंग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जैसा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा फंडेड एम्स के अध्ययन से पता चलता है। टेक्नोलॉजी की मदद से, हम उन खिलाड़ियों के लिए टाइम-आउट पेश कर सकते हैं जो बहुत ज्यादा गेम खेलते हैं और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए उपायों को लागू किया जा सकता है। ये सक्रिय कदम अपनी चुनौतियों से जिम्मेदारीपूर्वक निपटने के लिए उद्योग के समर्पण को सामने रखते हैं।” एसओजीआई समाधान के तौर पर अधिक टैक्स पर निर्भर रहने के बजाय लत जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग के महत्व पर जोर देता है।
संगठन के सलाहकार बोर्ड में मशहूर राजनयिक और भारत के पूर्व सूचना आय़ुक्त यशवर्धन सिन्हा, वर्ल्ड एसोसिएशन ऑन डुअल डिसऑर्डर्स (डब्लूएडीडी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएनओडीसी के सलाहकार डॉ. यतन पाल सिंह बलहारा और टेक पॉलिसी वकील और ई-गेमर्स एंड प्लेयर्स वेलफेयर एसोसिएशन (ईपीडब्ल्यूए) की लीडर शिवानी झा शामिल हैं।