सा -धन ने नाबार्ड, एनआरएलएम, सिबिल के साथ मिलकर, लखनऊ में ‘फाइनैंसिंग वुमेन-लेड इंटरप्राइजेज़ बाय रीजनल रूरल बैंक्स’ विषय पर आयोजित की कार्यशाला
लखनऊ, 07 दिसंबर, 2024: वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने तथा भारत में महिलाओं की अगुवाईवाले उद्यमों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से, सा-धन ने नाबार्डद्वारा प्रवर्तित बैंकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट (बर्ड), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड (सिबिल) के साथ मिलकर, आज लखनऊ में पूरे भारत के सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबीज्) के अध्यक्षों की खातिर आधे दिन की एक कार्यशाला आयोजित की। बता दें कि सा-धन आरबीआई के द्वारा नियुक्त स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) तथा माइक्रोफाइनैंस व इम्पैक्ट फाइनैंस संस्थानों का एक संघ है।
इस ईवेंट की थीम- ‘डेवलपिंग ए फाइनैंसिंग प्रोडक्ट फॉर आरआरबीज फॉर वुमेन इंटरप्राइजेज़ ऑफ एसएचजी- वुमेन अंडर लखपति दीदी प्रोग्राम’ रही। समारोह का आयोजन बर्ड के कार्यालय में किया गया। इसमें शामिल कुछ प्रमुख विषय ये रहे: ‘अंडरस्टैंडिंग इंटरप्राइज़ फाइनैंसिंग प्रोग्राम’, ‘स्वयंसिद्धा एंड स्वयंसिद्धा प्रबल’, साथ ही विभिन्न प्रतिष्ठित वक्ताओं की भागीदारी में ‘बैंकर्स रोल एंड एक्सपेक्टेशंस’ विषय पर गंभीर चर्चा भी की गई।
‘क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों’ (आरआरबीज्) की लीडरशिप को एक साथ लाना इस कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य था, ताकि भारत सरकार की ‘लखपति दीदी’वाली पहल का सहयोग व समर्थन करने में, उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित की जा सके। ‘लखपति दीदी’ एक ऐसा अभूतपूर्व प्रोग्राम है, जिसने लोन की सुविधा और उद्यम को वित्तपोषित करके ग्रामीण महिलाओं के वित्तीय उत्थान को अपना लक्ष्य बना रखा है। यह बात उल्लेखनीय है कि ‘क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों’ ने, ग्रामीण इलाकों के अंदर वित्तीय सेवाओं का विस्तार करने में केंद्रीय भूमिका निभाई है। आरआरबीज् के पास देश भर में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बैंक लिंकेज प्रोग्राम्स के अंदर 40% की अच्छी-खासी हिस्सेदारी मौजूद है।
इस पहल का औचित्य समझाते हुए, सा-धन के कार्यकारी निदेशक और सीईओ श्री जीजी माम्मेन ने कहा-“एसएचजी के महिला उद्यमों को बढ़ावा देना, एसएचजी-बैंक लिंकेज प्रोग्राम का अगला चरण है, जो अब तक वित्तीय समावेशन पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री ने तीन करोड़ ‘लखपति दीदी’ बनाने का विजन प्रदान किया है, जो कई महिला उद्यम विकसित करने के साथ जुड़ा हुआ है। इस यात्रा में, ग्रामीण इलाकों के अंदर अपनी विशाल उपस्थिति रखने वाले आरआरबीज् की भूमिका बहुत बड़ी है। इसी की एक आम रणनीति तैयार करना कार्यशाला का उद्देश्य रहा। सा-धन इसमें अपनी भूमिका निभाकर बहुत खुश है।”
नाबार्ड के चेयरमैन श्री शाजी के वी ने कहा, “वर्तमान में केसीसी और एसएचजी के लोन आरआरबी के लोन पोर्टफोलियो का प्रमुख हिस्सा बने हुए हैं। लोन की उचित अंडरराइटिंग करके लोन पोर्टफोलियो में विविधता लाने की ज़रूरत है। आरआरबीज् के परिसंपत्ति वाले पोर्टफोलियो में विविधता लाने का सही तरीका यह है कि महिला उद्यमों का भरपूर साथ दिया जाए, जिससे घरेलू आय बढ़ाने में मदद मिल सकती है और यह अर्थव्यवस्था को विकसित भारत बनाने की दिशा में प्रोत्साहित कर सकता है। नाबार्ड इस लक्ष्य को प्राप्त करने में आरआरबीज् का समर्थन करेगा, और अगर जरूरत पड़ी तो एक साझा मंच भी विकसित किया जाएगा।”
भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के साथ सहभागिता करने वाले तथा इस पहल में सा-धन के भागीदार बने, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के वरिष्ठ प्रोग्राम अधिकारी श्री अंजनी कुमार सिंह ने बताया, “महिला उद्यमियों के नेतृत्व और उनकी परिवर्तनकारी क्षमता के बावजूद, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजीज) को, खासकर महंगे एवं बड़े लोन के अनुरूप फाइनैंस हासिल करने में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण भारत के अंदर अपनी गहरी पैठ के दम पर, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबीज्) के पास इस खाई को पाटने और महिलाओं की अगुवाई वाले उद्यमों की सफलता सुनिश्चित करने की कुंजी मौजूद हैं।”
एसएचजी की तीन करोड़ सदस्यों को ‘लखपति दीदी’ बना देने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य लेकर, इस कार्यशाला ने महिला-नेतृत्व वाले इन उद्यमों की क्रेडिट-लिंकिंग में, आरआरबीज् की सक्रिय भागीदारी के महत्व पर ज़ोर दिया। महिला उद्यमियों को सुचारु रूप से वित्तपोषण मिलना सुनिश्चित करने के लिए, आरआरबीज के द्वारा समर्पित योजनाएं तैयार करने को लेकर भी इस ईवेंट के दौरान गहन चर्चा हुई।