भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 से अब तक 4 बड़े युद्ध हो चुके हैं। इन सभी में पाकिस्तान को मात खानी पड़ी। सितंबर महीने में दोनों देशों के बीच 1965 की जंग के 59 साल पूरे हो गए हैं। यह ऐसा समय है, जब पाकिस्तान की सरकार और उसकी सेना मान चुके हैं कि भारत साथ सीधे युद्ध में नहीं जीता जा सकता। ऐसे में वे छद्म युद्ध यानी सीमा पार आतंकवाद, ड्रग्स का कारोबार और अन्य अवैध धंधों के जरिए भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में रहते हैं। यही नहीं पाकिस्तान की सेना भी किसी दूसरे देश की पेशेवर आर्मी की बजाय एक कारोबारी संगठन की तरह काम करती है।
पाकिस्तानी प्रोफेसर इश्तियाक अहमद जैसे रणनीतिक जानकार तो कहते हैं कि दुनिया भर के देशों के पास सेनाएं हैं। लेकिन पाकिस्तान की सेना के पास एक देश है। कुछ ऐसे आंकड़े भी हैं, जिन पर नजर डालें तो पता चलता है कि पाकिस्तानी सेना करीब 50 कंपनियां चला रही हैं। ये कंपनियां सीमेंट, तेल, मसाले, बिजली के सामान, हाउसिंग सोसायटी, कपड़े, जूते जैसी चीजें भी बेचती हैं। यह पूरा उद्योग एक फौजी फाउंडेशन के जरिए चलता है, जिसके तहत तमाम कंपनियां आती हैं। जानकार मानते हैं कि पाकिस्तानी सेना के भ्रष्ट होने और सत्ता का केंद्र बनने के पीछे यही वजह है कि उसकी आर्थिक शक्ति बहुत अधिक है।
इसी के चलते पाकिस्तान की सेना देश के अंदर राजनीतिक सत्ता से ज्यादा पावरफुल है और उसका देश के ज्यादातर प्रतिष्ठानों पर सीधा कंट्रोल है। 2016 में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने वहां की संसद बताया था कि सेना करीब 50 से ज्यादा कंपनियों का संचालन करती है। इन कंपनियों का कंट्रोल फौजी फाउंडेशन, शाहीन फाउंडेशन, बाहरिया फाउंडेशन, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट और डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटीज जैसी संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है। इस तरह लाहौर से लेकर पेशावर तक पाकिस्तान के सभी बड़े शहरों की महंगी से महंगी संपत्तियों और कारोबारों पर सेना का ही नियंत्रण है।