Friday, June 27, 2025
Google search engine
HomeदेशOpinion: पीएम मोदी की नीतियों से रक्षा क्षेत्र में भारत ने की...

Opinion: पीएम मोदी की नीतियों से रक्षा क्षेत्र में भारत ने की है अप्रत्याशित तरक्की


किसी वक्त दुर्गम इलाकों में भारी भरकम राइफलों का सही इस्तेमाल न कर पाने के कारण भारतीय सैनिकों को सर्वोच्च बलिदान तक देना पड़ा था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज उस मुकाम पर है कि अब देश दुनिया भर को चुनौती देने वाले युद्धक विमान बनाने की स्थिति में है. आज रक्षा क्षेत्र में भारत न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि बहुत सारे उत्पादों का निर्यात भी कर रहा है. देश में अत्याधुनिक हथियारों से लेकर उच्चतम तकनीकी वाले लड़ाकू विमान भी बनाए जा रहे हैं, जो चुनिंदा देशों के पास हैं.

लगातार अपडेट हो रही तकनीक का ही नतीजा है कि सेना में हेलीकॉप्टरों के पुराने बेड़े को 2027 से चरणबद्ध तरीके से सेवा से हटाने पर विचार किया जा रहा है. फिलहाल, आर्मी एविएशन कोर लगभग 190 चेतक, चीता और चीतल हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रही है. जानकारों का दावा है कि अब इनकी जगह स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों (एलयूएच) को बड़ी संख्या में शामिल किया जाएगा. इसका सीधा मतलब ये है कि देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है.

‘मेक इन इंडिया’ का असर
दरअसल, ये सब ‘मेक इन इंडिया’ का असर है. इसका लाभ अर्थव्यवस्था को भी मिल रहा है और वो मजबूत हो रही है. ऐसा नहीं है कि आयात घटा कर सरकार ने सेना की जरूरत की चीजों में कोई कटौती की हो. सेना की जरूरत का बहुत सारा सामान देश में ही बनाया जा रहा है. इस तरह से भारत की शक्ति में दोनों तरफ से इजाफा हो रहा है.

Opinion: पीएम मोदी के लिए साल 2023 रहा बेमिसाल, बने कई कीर्तिमान

नई रक्षा खरीद नीति
2016 में सरकार ने नई रक्षा खरीद नीति लागू की थी. इसके तहत स्वदेशी विनिर्माण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहयोग के महत्व पर जोर दिया. इसके बाद रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल शुरू की गई. यहां ये ध्यान रखने वाली बात है कि भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है. वैश्विक रक्षा से जुड़ी जानकारी पर नजर रखने वाली वेबसाइट ग्‍लोबल फायरपावर ने दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं की सूची जारी की थी. सैन्‍य ताकत की इस सूची में 2023 में भारत को चौथे पायदान पर है. भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है. भारत तोपखाना और मिसाइलों के मामले में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है.

लगातार आगे बढ़ रहा देश
सैनिक संख्या का मसला हो या हथियारों की संख्य भारत लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. पिछले पांच साल की बात करें तो रक्षा सौदों के मामले में लंबे समय के आयात पर निर्भरता कम हो रही है. 2016 से 2020 के बीच की ओवरऑल बात करें तो वैश्विक हथियारों के आयात में भारत 9.5 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर तो था, लेकिन ये आयात वर्ष 2011-2015 के बीच हुए आयात से 33 फीसदी कम था. ये बड़ा अंतर है. भारत के आयात कम करने से रूस सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. फिर भी उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक वही है. ये भी कम रोचक नहीं है कि अमेरिका से आयात होने वाली रक्षा सामग्री में भी 46 फीसदी की गिरावट आई है. स्पष्ट है कि अब देश रक्षा प्रणालियों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता कम करता जा रहा है और इसका एकमात्र लक्ष्य आत्मनिर्भर बनना है. एक को छोड़कर दूसरे को अपनाना नहीं है. अगर कहीं से आयात में कटौती की जा रही है तो याद रखिए कि स्वदेशी पर निर्भरता बढ़ रही है. इससे देश में निर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने का भारत का संकल्प परिलक्षित होता है.

सरकार का प्रोत्साहन
केंद्र सरकार नीतिगत पहल करके देश में स्वदेशी डिजाइन, विकास और रक्षा उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित कर रही है. केंद्रीय बजट 2022-23 में रक्षा सेवाओं के पूंजीगत परिव्यय के तहत कुल आवंटन बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया. इसमें पूंजीगत खरीद बजट का 68 फीसदी स्वदेशी उद्योगों के लिए तय था.

दरअसल, भारत के अपने रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के कई कारण हैं. सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के लिए एक फोकस क्षेत्र के रूप में रक्षा प्रणालियों, उपकरणों और सेवा क्षेत्रों की पहचान की है. इसमें जरूरी रिसर्च और स्वदेशी निर्माण बुनियादी ढांचे की स्थापना पर जोर दिया गया है.

100% तक निजी क्षेत्र की भागीदारी
मई 2001 में रक्षा उद्योग क्षेत्र को भारतीय निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए 100% तक खोल दिया गया था और जनवरी, 2023 तक रक्षा क्षेत्र के खुलने के बाद से अकेले हरियाणा की 34 कंपनियों को कुल 47 औद्योगिक लाइसेंस जारी किए गए हैं. फ्यूज, नाइट विजन डिवाइस, बुलेट प्रूफ वेस्ट/जैकेट आदि जैसे विभिन्न रक्षा उत्पादों का निर्माण हरियाणा में किया जा रहा है. पिछले पांच वर्षों में  ‘मेक इन इंडिया’ योजना पर संसद में एक बयान में रक्षा मंत्रालय की ओर से भी बताया गया था कि इसके तहत, सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई नीतिगत पहल की हैं और देश में रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सुधार किए हैं.

Tags: Defence Companies, Indian air force, Indian army, Indian navy, Make in india, Modi government, Opinion, PM Modi



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments