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चिकित्सा शिक्षा नियामक राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने पहली बार उसके द्वारा विनियमित मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट डॉक्टोरल फेलेशिप कोर्स की शुरुआत की है। आयोग को उम्मीद है कि इस पहल से रिसर्च और मेडिकल स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा। चिकित्सा संस्थान अबतक चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने के लिए अपने स्तर पर ही यह पाठ्यक्रम तैयार कर उसे मंजूरी दे रहे थे।
नियामक ने हाल ही में ‘पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन, 2023’ को अधिसूचित किया है। इसके अनुसार एक बार मेडिकल कॉलेज को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम या सीट शुरू करने की अनुमति मिल जाने के बाद पाठ्यक्रम को मान्यता प्राप्त माना जाएगा।
एनएमसी में पीजी मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. विजय ओझा ने बताया कि इससे पोस्ट ग्रेजुएशन परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को अपनी डिग्री रजिस्टर्ड करने में आने वाली कई कठिनाइयों का समाधान हो जाएगा।