Thursday, November 13, 2025
Google search engine
Homeदेश... तो इससे एएमयू का अल्पसंख्यक चरित्र कमजोर नहीं होता, जानें सुप्रीम...

… तो इससे एएमयू का अल्पसंख्यक चरित्र कमजोर नहीं होता, जानें सुप्रीम कोर्ट ने यह बात क्यों कही


हाइलाइट्स

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विवादित अल्पसंख्यक दर्जे पर बुधवार को भी सुनवाई हुई.
डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 30 का दिया हवाला.
संविधान पीठ ने कहा कि कोई भी तथ्य इसके अल्पसंख्यक चरित्र को ‘कमजोर’ नहीं करता है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के विवादित अल्पसंख्यक दर्जे पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल यह तथ्य कि किसी शैक्षणिक संस्थान के प्रशासन का कुछ हिस्सा गैर-अल्पसंख्यक अधिकारियों द्वारा भी देखा जाता है, इसके अल्पसंख्यक चरित्र को ‘कमजोर’ नहीं करता है.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने रेखांकित किया कि संविधान का अनुच्छेद 30 कहता है कि प्रत्येक अल्पसंख्यक, चाहे वह धार्मिक हो या भाषाई, को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना का और उनका प्रशासन देखने का अधिकार होगा.

क्या कहा संविधान पीठ ने
इस जटिल मुद्दे पर सुनवाई के दूसरे दिन पीठ ने कहा, ‘‘केवल यह तथ्य कि किसी शैक्षणिक संस्थान के प्रशासन का कुछ हिस्सा गैर-अल्पसंख्यक अधिकारियों द्वारा भी देखा जाता है, जो संस्थान में अपनी सेवा या उसके साथ अपने जुड़ाव के चलते पक्ष रखने का प्रतिनिधित्व रखते हैं, इसके अल्पसंख्यक चरित्र को ‘कमजोर’ नहीं करता है. लेकिन यह इस बिंदु तक नहीं हो सकता कि पूरा प्रशासन गैर-अल्पसंख्यक हाथों में है.’’

ये भी पढ़ें- AMU News: ‘मैं कुछ अलग कहने वाला कौन…’ जब CJI चंद्रचूड़ के सामने बोले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वकील, जानें माजरा

लंबे समय से फंसा है अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा
एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा कई दशकों से कानूनी विवाद में फंसा है. शीर्ष अदालत ने 12 फरवरी, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के विवादास्पद मुद्दे को सात न्यायाधीशों की पीठ को भेज दिया था. 1981 में भी इसी तरह के मामले को संदर्भित किया गया था. एएमयू की स्थापना 1875 में हुई थी.

एएमयू शुरू से ही अल्पसंख्यक संस्थान रहा है: ओवैसी

एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को हैदराबाद में कहा कि एएमयू शुरू से ही अल्पसंख्यक संस्थान रहा है जिसने भारत के विकास में योगदान दिया है. हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ओवैसी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, “मोदी सरकार एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का यह कहते हुए विरोध कर रही है कि यह एक “राष्ट्रीय संस्थान” है. संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित और प्रशासित किसी भी संस्थान को संरक्षण प्रदान करता है.” ओवैसी ने कहा, “मुसलमानों के प्रति मोदी सरकार की नफरत सबके सामने है. वह मुसलमानों का उच्च शिक्षा प्राप्त करना और मुख्यधारा में शामिल होना बर्दाश्त नहीं कर सकती.”

Tags: Aligarh Muslim University, AMU, Minority, Supreme Court



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments