नई दिल्ली. हैदराबाद के रहने वाले एक लॉ ग्रेजुएट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट करना भारी पड़ गया. पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज समाज में अशांति फैलाने और लोगों को भड़काने का मुकदमा दर्ज कर दिया. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 35 वर्षीय शख्स को तेलंगाना हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने मुकदमे को रद्द करते हुए माना कि ये तो जरनल कमेंट था. पीठ ने कहा, ‘इस मामले में, टिप्पणी एक सामान्य टिप्पणी है, हालांकि यह अच्छे स्वाद में नहीं हो सकती है, लेकिन ये हैदराबाद पुलिस कमिश्नर के आदेश के खिलाफ सार्वजनिक शांति को भंग करने या विभिन्न समूहों या जातियों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह नहीं की गई थी.
हैदराबाद पुलिस कमिश्नर के निषेद के आदेश के खिलाफ युवक ने अपने ट्वीट में राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा था, ‘तेलंगाना में कानून एवं व्यवस्था एक मजाक बन गई है… यदि आप हर समय इतने असुरक्षित हुए बिना अपना काम नहीं कर सकते, तो आपको दूसरी नौकरी ढूंढ लेनी चाहिए. यह पद के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है. यह सिर्फ एक परीक्षा है, कोई युद्ध नहीं. निषेधात्मक आदेश, मूर्खतापूर्ण!”
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‘समाज में घृणा फैलाने का नहीं था ईरादा’
युवक ने तेलंगाना हाई कोर्ट में एफआईर रद्द करने के लिए याचिका लगाई. एफआईआर में कानून के दो प्रावधानों की जांच करने के बाद, न्यायालय ने मामले को अन्यथा पाया और राय दी कि आरोपी बनाए गए शख्स ने हैदराबाद पुलिस आयुक्त द्वारा पारित निषेधात्मक आदेशों के खिलाफ अपनी टिप्पणी से ऐसा कोई अपराध नहीं किया है. बेंच ने कहा, “युवक का विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना की भावना पैदा करने या बढ़ावा देने या सार्वजनिक शांति को भंग करने का कोई इरादा नहीं है.
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Tags: Hyderabad News, Hyderabad police, Telangana High Court
FIRST PUBLISHED : January 11, 2024, 21:05 IST


