Saturday, June 28, 2025
Google search engine
Homeविश्वमध्य पूर्व का सबसे शक्तिशाली संगठन है हिजबुल्लाह, कैसे हुई इजरायल से...

मध्य पूर्व का सबसे शक्तिशाली संगठन है हिजबुल्लाह, कैसे हुई इजरायल से दुश्मनी? लेबनान पर हमले का इतिहास समझिए


लेबनान स्थित शिया मुस्लिम संगठन हिजबुल्लाह (Hezbollah) मध्य पूर्व के सबसे शक्तिशाली सशस्त्र संगठनों में से एक है। यह संगठन राजनीतिक और सैन्य दोनों क्षेत्रों में सक्रिय है और इसका मुख्य उद्देश्य इजरायल के खिलाफ लड़ाई लड़ना और लेबनान पर राज करना है। एक दिन पहले इजरायल ने हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह के मारे जाने की पुष्टि की है, जिससे इस क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच का संघर्ष लंबे समय से चला आ रहा है, और इसका मुख्य केंद्र लेबनान का दक्षिणी इलाका है।

हिजबुल्लाह का गठन और उद्देश्य

हिजबुल्लाह का गठन 1980 के दशक में हुआ था, जब इजरायल ने लेबनान पर आक्रमण किया था। यह घटना 1975 से 1990 के बीच लेबनान में चले गृह युद्ध के दौरान हुई थी। यह संगठन लेबनान में शिया मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए शुरू हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे यह इजरायल विरोधी संगठन के रूप में उभर कर सामने आया। हिजबुल्लाह के पास न केवल एक सैन्य शाखा है, बल्कि यह लेबनान की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे ईरान और सीरिया से समर्थन मिलता है, और इसे इजरायल के खिलाफ एक प्रमुख प्रतिरोध बल के रूप में देखा जाता है।

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष के कारण

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच का तनाव वर्षों से चला आ रहा है। इस संघर्ष के कई कारण हैं:

सीमा विवाद: इजरायल और लेबनान के बीच की सीमा विवादित है, विशेष रूप से शब’आ फार्म्स (Shebaa Farms) क्षेत्र जिसे लेबनान अपना हिस्सा मानता है, जबकि इजरायल इस पर दावा करता है। हिज़बुल्लाह ने इस इलाके में इजरायल के खिलाफ कई हमले किए हैं।

फिलिस्तीनी मुद्दा: हिज़बुल्लाह फिलिस्तीनी अधिकारों का समर्थन करता है और इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्रों से फ़लस्तीनियों की मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहा है। हिजबुल्लाह ने 2006 में इजरायल के साथ हुए युद्ध में भी मुख्य भूमिका निभाई थी।

ईरान का समर्थन: हिज़बुल्लाह को ईरान से मजबूत समर्थन प्राप्त है, और इजरायल को लगता है कि ईरान हिज़बुल्लाह के माध्यम से उसे अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। इजरायल की नीति रही है कि वह ईरान और उसके सहयोगियों, जैसे हिज़बुल्लाह, को कमजोर करने की कोशिश करे।

ये भी पढ़े:इजरायल को खत्म करने के लिए बनी थी ‘अल्लाह की पार्टी’, तबाह कर लिया अपना ही देश

वर्तमान स्थिति

हाल के दिनों में हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच तनाव और भी बढ़ गया है। हिजबुल्लाह ने इजरायल के उत्तरी इलाके में कई रॉकेट हमले किए हैं, जिसका जवाब इजरायल ने हिजबुल्लाह के ठिकानों पर बड़े हवाई हमलों से दिया है। इजरायल की सेना (IDF) ने बयान जारी करते हुए कहा कि उन्होंने हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह को मार गिराया है। हालांकि, हिजबुल्लाह की ओर से अभी तक इस पर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है।

हिजबुल्लाह और लेबनान की जनता

हिजबुल्लाह लेबनान की एक बड़ी राजनीतिक ताकत है और शिया समुदाय में इसकी गहरी पैठ है। संगठन का सैन्य बल इजरायल के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक है, लेकिन साथ ही, हिजबुल्लाह पर आरोप है कि उसकी कार्रवाइयों से लेबनान की संप्रभुता और सुरक्षा को नुकसान पहुंचता है। लेबनान में ऐसे कई लोग हैं जो हिजबुल्लाह की सैन्य गतिविधियों से सहमत नहीं हैं, लेकिन उसके राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का समर्थन करते हैं।

ईरान और सीरिया से समर्थन

हिज़बुल्लाह को लंबे समय से ईरान से वित्तीय और सैन्य सहायता मिलती रही है। ईरान ने इस संगठन को इजरायल के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोध बल के रूप में तैयार किया। इसके साथ ही, हिज़बुल्लाह सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद का भी करीबी सहयोगी है। सीरिया की सरकार को समर्थन देने के लिए हिज़बुल्लाह ने वहां के गृह युद्ध में भी अपनी सैन्य भागीदारी निभाई है।

इजरायल और अमेरिकी सेना पर हमले

हिज़बुल्लाह का सशस्त्र विंग इजरायल और लेबनान में अमेरिकी सेना पर कई घातक हमले कर चुका है। इजरायल के लिए हिज़बुल्लाह एक मुख्य प्रतिरोधक बल है, जिसने उसकी सैन्य गतिविधियों को चुनौती दी है।

साल 2000 में इजरायल का वापसी

साल 2000 में जब इजरायल ने लेबनान से अपने सैनिकों को वापस बुलाया, तो हिज़बुल्लाह ने इसका श्रेय लिया। संगठन ने दावा किया कि यह उसकी सैन्य कार्रवाइयों का ही परिणाम था कि इजरायल को पीछे हटना पड़ा। इसके बाद से हिज़बुल्लाह ने इजरायल के साथ लगने वाले सीमा क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों को जारी रखा है और इजरायल की उपस्थिति का विरोध करता रहा है।

2006 का युद्ध

साल 2006 में हिज़बुल्लाह और इजरायल के बीच एक पूर्ण युद्ध छिड़ गया। यह युद्ध तब शुरू हुआ जब हिज़बुल्लाह ने इजरायल पर एक घातक क्रॉस-बॉर्डर हमला किया। इस हमले के जवाब में इजरायल ने दक्षिणी लेबनान पर आक्रमण कर दिया, और इस क्षेत्र से हिज़बुल्लाह के खतरे को समाप्त करने का प्रयास किया। इस संघर्ष में लगभग 1,000 नागरिक मारे गए थे।

हालांकि, हिज़बुल्लाह ने इस युद्ध में अपनी जीत का दावा किया और उसके बाद से इसने अपने लड़ाकों की संख्या में वृद्धि की और अपने हथियारों को उन्नत किया है। आज यह संगठन एक बड़ी सैन्य ताकत के रूप में उभरा है।

आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता

पश्चिमी देशों, इजरायल, और खाड़ी के अरब देशों द्वारा हिज़बुल्लाह को एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है। इसके सशस्त्र संघर्ष और क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर कई देशों ने हिज़बुल्लाह की गतिविधियों पर कड़ी आपत्ति जताई है।

हिजबुल्लाह की सेना कितनी मजबूत है?

हिजबुल्लाह के पास दक्षिणी लेबनान में हजारों लड़ाके और मिसाइलों का विशाल जखीरा है। यह दुनिया की सबसे भारी हथियारों से लैस, गैर-सरकारी सैन्य बलों में से एक है। इसे ईरान द्वारा वित्तपोषित और सुसज्जित किया जाता है। संगठन ने दावा किया है कि उसके पास 100,000 लड़ाके हैं, हालांकि स्वतंत्र अनुमानों के अनुसार यह संख्या 20,000 से 50,000 के बीच है। कई लड़ाके अच्छी तरह से प्रशिक्षित और युद्ध-कौशल वाले हैं, और सीरियाई गृहयुद्ध में लड़ चुके हैं।

सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज थिंक टैंक के अनुसार, हिजबुल्लाह के पास अनुमानित 120,000-200,000 रॉकेट और मिसाइल हैं। इसके अधिकांश शस्त्रागार में छोटे, बिना निर्देशित, सतह से सतह पर मार करने वाले आर्टिलरी रॉकेट हैं। लेकिन माना जाता है कि इसके पास विमान-रोधी और जहाज-रोधी मिसाइलें भी हैं, साथ ही निर्देशित मिसाइलें भी हैं जो इजरायल के अंदर तक हमला करने में सक्षम हैं। उसके पास गाजा में हमास की तुलना में कहीं अधिक आधुनिक हथियार हैं।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments